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कविता

राम की चिंता राम ही जाने

जसबीर चावला


राम ने कब सोचा था
राम के नाम पर ही
बोला जायेगा झूट
उसके नाम पर
होगा छल / कपट
दंगा / लूट
राम ने कब सोचा था
नफरत की आंधी होगी
बँट जायेगा देश खानों में
हिंदुओं में / मुसलमानों में
घृणा के मठों में / मकानों में
राम ने कब सोचा था
मुँह में राम बगल में छुरी
किसी एक के ही नहीं
लाखों मुँहों में राम होगा
बगलो में हथियार होंगे
राम ने कब सोचा था
ऐसा राम ने कब सोचा था?

 


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